कवि नही हूँ पर कविता लिखती हूँ । शब्दों को पिरोना नहीं आता फिर भी उसे एक धागे में पिरोती हूँ। शायद कुछ लिख दुं इस ख्याल से हर बार कुछ लिखनेकी कोशिश करती हूँ। कवि नही हूँ पर कविता लिखती हूँ। बस यूँ ही कुछ लिखते लिखतेशब्दों की एक माला बन जाती है जब कुछ ख्याल मन में आता है तो उसे कोरे कागज पर उतार खुद को कवि समझबैठती हूँ। कवि नही हूँ पर कविता लिखती हूँ। माँ कहती है कभी न बैठो खाली । इसलिएसादे कागज पर कुछ शब्दों को पिरोती हूँ। कवि नही हूँ पर कविता लिखती हूँ। मन में एक उम्मीद लेकर कल मै भी बन सकती हूँ कवि। इसलिए शब्दो की पोटली से कुछ शब्द चुन कर शब्दों की माला पिरोती हूँ। कवि नही हूँ पर कविता लिखती हूँ।
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भावनाजी…हम सब एक जैसे ही हैं…और कविता है ही मन के भावों का रोपण….और आप दिन-ब-दिन अच्छा लिख रही हैं…बस चलती चलिये…हम आप से अभी पीछे हैं…पकड़ लेंगे कभी तो…हाहाहा
बहुत बहुत धन्यवाद सर। हमें प्रोत्साहित करने के लिए।
Sundar rachna, Bhawana ji hum sabhi ek hi kasti me savar hai….
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत ही बढ़िया भावना जी।
हम सब एक से ही है।
बहुत बहुत धन्यवाद
Koshish karne vaale sada kaamyaab hote hain……
बहुत बहुत धन्यवाद सर
bahut achhi manbhavan …… man ke bhavon ko jo utar de wahi to kavi hai ….. bas usme jitna dard jyada hoga wah kavita utni achhi hogi…… bas karte jaiye dekhiye age … age… hota kya hai. badhai….
बहुत बहुत धन्यवाद सर। बस सर आप सभी लोगों का स्नेह आशिष और प्रोत्साहन मिलता रहे।
बहुत खूबसूरत आत्मा के निश्छल भाव शब्दों में छलकते है आपके ………….निश दिन आपकी कलम की धार निखरती जा रही है ………आप आपने मकसद में अवश्य कामयाब होंगी ………..!!
बहुत बहुत धन्यवाद सर। बस सर ऐसे ही हमें प्रोत्साहित करते रहिये। आप लोगो के प्रतिक्रिया से ही हमें कुछ लिखने का बल प्रदान होता है।
बहुत खूबसूरती से मन के भावों को शब्दों में पिरोती हैं आप ।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका
क्या बात है भावना जी बहुत सुन्दर भाव
बहुत बहुत धन्यवाद सर
,,,Bhawana JI ,,,,,,,very nice
बहुत बहुत शुक्रिया