खतरा मंडरा रहा है देश पर,देश के ही गद्दार से,लूट रहे खुमेआम देश को,अपनी षड्यंत्री चाल से।अफरातफरी मची हुई है,बेचैनी का आलम है,दहशत का बाजार गरम है,आतंक के हतियार से।प्रजातंत्र की आड़ में,तानाशाही अग्रसर है,राज्य पर संकट बना हुआ है,राजनीति के दलाल से।वोट बैंक बनाने को दर दर वोट माँगते हैं,राजनेता बनने पर फिर,ठेंगा दिखाते अभिमान से।अपनी जेबें भरते है,किसी की फिक्र न करते हैं,जनता पल पल मर रही है,मंहगाई की मार से।चिंता नहीं है किसी को देश की,सब स्वयं में मग्न है,भारत माँ की नम हैं आँखे, देखकर इन हालात से। वीर सैनानी तने हुए हैं,बाहरी दुश्मन डरे हुए हैं,सुरक्षित हैं देश की सीमा, इन सैनिकों की शहादत से,भारत की आंतरिक शक्ति,भारत को ही लूट रही हैं,मौन बैठें है भारतवासी,नहीं निकलते शब्द जुबां से।देश के लिये जन जन को आगे आना है,कर्तव्य पथ पर बड़ो सब आगे,अपने स्वभिमान से,भारत की अनेकता में ही इसकी एकता है,दिखा दो पूरे विश्व को ये,आन मान और शान से।।By:Dr Swati Gupta
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Nice thoughts Dr. Swati…..
Thanks a lot Sir
बहुत ही सुन्दर रचना स्वाति मेम ।
Thanks a lot bhawna ji
बेहद खूबसूरत स्वाति जी ……….जान डाल दी आपने शब्दों में !
Thanks a lot Sir
behad khoobsoorat………
Thanks a lot Sir