उड़ते बाल जबचेहरे पर आ जाते हैलहराती हैं हवाऐपर्वत गीत गाते हैं |पलकें आपकी तोहया बहुत लुटाती हैंकाले बादलों में जैसेमेघ घनघनाते हैं |छोटे-छोटे दाँत दिखाकरबच्चे जैसे हंश जाते हैंऐसी मासूम हंशी सेआप मुस्कुराते हैं |खड़ी कोई तस्वीर जैसेअपने को समेटे हुयेअपनी ही सादगी मेंआप जगमगाते हैं |
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
ati sundar………
हया बहुत लुटाती हैं….सही नहीं लगती मुझे………..ऊपर की प्रतिकिर्या मैंने आपकी दूसरी रचना में दी थी…नेट प्रॉब्लम से यहां आ गयी…डिलीट कर दीजिये…
Aabhar aapka pratikriya ke liye
सुन्दर रचना
babbu jee thik kah rahe hain unpar gaur karen. sunder abhivyakti.
Nice….
भाव सुंदर है आपकी रचना में बाकी शर्मा सर से मैं इत्तेफाक रखती हूं।
Sundar rachnaa Rakesh. Haya ki bhi ek value hoti hai. Vo bhi to USP hoti hai.
आभार आप सभी रचनाकारों का