ज़लवा दिखाओ तो जाने
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आज भी पहले सा मुस्कराओ तो जानेफिर से वही ज़लवा दिखाओ तो जाने !!
मुहब्बत को तरस गयी है प्यासी निगाहेंफिर उसी मंज़र से गुजर जाओ तो जाने !!
लुटे थे, लुटे है, लुटते रहेंगे सदा हमअदाएं यूं ही बिखराते जाओ तो जानें!!
न उम्र की सीमा न जन्मो का बंधन ज़माना कहता है,अगर ये जुमला साबित करके दिखलाओ तो जाने !!
हर एक दौलत से बड़ी होती है मुहब्बत कि दौलतफिर से लुटाकर हमें मालामाल कर जाओ तो जाने!!
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डी के निवातिया
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Beautiful expressions…
बहुत बहुत धन्यवाद आपका विनीत जी …
बेहद खूबसूरत……….इस शेर में मुझे लगता काल दोष है…
लुटे थे, लुटे है, लुटते रहेंगे सदा हम
फिर से वही अदा बिखराओ तो जाने !!
पहली पंक्ति तीनों काल में चल रही है…जब की दूसरी सिर्फ वर्तमान में….मुझे लगता इसे ऐसा होना चाहिये….”अदाएं यूं ही बिखराते जाओ तो जानें”…
बात तो पते की है आपने बब्बू जी ………..मन के उद्गारों में इतना बह गए की इस और सोचा ही नहीं ……………आपकी पारखी नज़र को नमन ….हमने आपकी सुझाई पंक्ति ज्यो कि त्यों रख दी है ………………बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार आपका !!
बहुत खूबसुरत
बहुत बहुत धन्यवाद आपका मधु जी………….!
disha nridesh aap sabo ki bahit hi marmik aur uche khayalat ke hai isliye bhav pakad me aa jati hai jo ham sab ke liye ram van ke barabar aushadhi ke rup me milta aaya hai….. ek ke najar se ojhal hoti hai to pratikriya ke hisab se ham durust ho jate hai. dhanyabad bahhot achha aapne likha.
बहुत बहुत धन्यवाद आपका बिंदु जी………….!
बहुत ही सुंदर रचना।।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका स्वाति जी………….!
बहुत ही सुंदर ।।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका स्वाति जी………….!
Bahut sundar, Nivatiya ji…
बहुत बहुत धन्यवाद आपका अनु जी………….!