आज अपने दिल की बात बता रही हूँ,शब्दों में नहीं, आंखों से समझा रही हूँ।नैनों की भाषा समझ ले तू सनम,प्यार का गीत गुनगुना रही हूँ।तेरी आँखों को बनाकर दर्पण,अक्स मैं अपना उसमें पा रही हूँ।किताबों में नहीं है अल्फाज दिल के,उन्हें इशारों में ही जता रही हूँ।दिल के जज्वात समझ ले दिल से,दिल को पढ़ने का हुनर सिखा रही हूँ।अमावस की रात है माना मैंने, संग तेरे चाँदनी रात का सुकूँ पा रही हूँ।जन्म जन्म का रिश्ता है प्रदीपस्वाति का,इस रिश्ते पर नजर का टीका लगा रही हूँ।।By: Dr Swati Gupta
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bahut sundar….
Thanks Anu
प्रेम समर्पण का सुंदर चित्रण ………ह्रदय के भाव सीधे मन को छूते है …….ये जोड़ी सदैव उजली रातो सी चमकती रहे ……………अति सुंदर !
Thanks a lot Sir
सुन्दर रचना , मनभावन
Thanks a lot Abhishek
बहुत ही सुन्दर
Thanks a lot bhawna ji
बेहद खूबसूरत……………..
Thanks a lot Sir
swati G बेहद खूबसूरत…… रचना है आपके .. अति सुन्दर
Thanks a lot Sir
Appreciate your love for Pradeep Ji. Beautifully written. He is a lucky guy to have you in his life. God bless both of you Dr. Swati.
Thanks a lot Sir