जिन नैनों से देखा तुमने आज उनमे रही ज्योत नहीं…जिन बाहों ने संभाला तुझको बची उनमें ताकत नहीं…ममता का समंदर छलकता अब भी पहले जैसा है….पर उसको पाने की तुझमें लगता अब चाहत नहीं….\/सी.एम्. शर्मा (बब्बू)….(मुझे अभी अभी कहीं से ये ‘फोटो’ मिली है…किस ने बनायी नहीं मालूम….बस इसको देख कर लिखा जो मन में आया…मैं उस आत्मा का आभार प्रकट करता हूँ…जिसने ये फोटो पेंट की है…उसको नमन…और हर माँ को नमन मेरा…)
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Bahut hi sundar and satya likha hai hai aapne, Sharma ji…
तहदिल आभार आपका….Anuji….
सुन्दर पँक्तियाँ…….बब्बू जी।
ये तस्वीर है, कुछ बोलती है,
दिल के दबे राज़ खोलती है
जो न समझे वो अनभिज्ञ है
चाह में तेरी नज़रे डोलती है।।
Wha wha
तहदिल आभार आपका……Rakeshji…
जी….बहुत कुछ कहती है…बस देखते ही मन उद्वेलित हो गया…और भाव जो निकले लिख दिए……तहदिल आभार आपका….Nivatiyaji…
photo dekhkar bada pyar jhalakata hai
aishi maa ko dekh kar kiska man nahi pighala hai. wah bahoot sunder babbu jee.
तहदिल आभार आपका……Binduji…
Very nice and touching
तहदिल आभार आपका……Swatiji….
अति सुन्दर
चंद पंक्तियाँ है पर ह्रदय में उतरने के लिए काफी हैं
तहदिल आभार आपका……Abhishekji….
इन आँखों न मंजर हजार देखा होगा, बेटे के इंतजर मे आज भी यह आँखे तरसा होगा। बहुत खूबसूरत रचना
भावनाजी….आप सही कहती हैं….मैं एक ऐसी ही ‘माँ’ से बहुत साल पहले मिल चुका और मैंने पहले भी रचना लिखी थी ऐसी ही…”माँ” के लिए…ये तस्वीर देख के मेरी आँखों के सामने एक दम जैसे वो आ खड़ी हो….. और जो शब्द दिल में आये लिख दिए….आपको अच्छा लगा….तहदिल आभार आपका…..
हृदयस्पर्शी सुंदर भाव सर। भौतिकता की दौड़ में ममता और प्रेम दोनों से दूर भाग रहा है इंसान।
तहदिल आभार आपका…Davendraji….
माँ सबसे बड़ा धर्म है
सही कहती हैं आप……..तहदिल आभार आपका…Muktaji…
Beautiful sentiments Babbu ji ……..
तहदिल आभार आपका…Madhukarji….