तेरे नैन संग नैन मिले,फिर नैन हमारे चार हुए,समझी नैनों ने भाषा नैनों की,नैनों ने खुद ही जवाब दिए,शब्द मूक से मौन रहे,निशब्द हमारे भाव हुए,मन से मन का मिलन हुआ, निशब्द भाव अर्थसार हुए,प्रीत से प्रीत मिली आपस मे,एक दूजे के साथ हुए,जज्वात से जुड़े जज्वात हमारे,दिल से दिल के तार मिले,आँखों के रस्ते दिल मे आकर,मेरे मन मन्दिर में आप बसे,मीरा सी दीवानी हो गयी मैं,अधरों पर तेरा नाम धरे, राधे कृष्ण की निश्छल प्रीत के जैसे,तेरा मेरा प्यार रहे,रुक्मिणी कृष्ण के संग है जैसे,प्रदीप स्वाति का साथ रहे।By:Dr Swati Guptahttps://youtu.be/X3Wy-Zuf_wc
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Nice mam
Thanks a lot Rakesh ji
Bahut sundar bhav, Swati ji…
Thanks a lot Anu
पढ़ा और आपकी रचना सुनी भी। बहुत अच्छा
Thanks a lot Sir.
प्रेम को समर्पित खूबसूरत भाव ……………….अति सुंदर गीत बनाया आपने ……………!!
Thanks a lot Sir
बहुत सुन्दर……पर शब्दों की पुनरावृति जितनी कम हो उतनी अच्छी होती कई बार….जैसे…
नैन से नैन मिले जब नैन हमारे चार हुए
नैनों की भाषा के नैनों ने ही जवाब दिए
Thanks a lot sir..
Sure Sir
Lovely expression of love Dr. Swati…….
Thanks a lot Sir