यह कविता मैं जब 10th class में थी तब लिखी थी। इस बार जब मैं अपने मायके आई थी तो पापा ने मुझे मेरी लिखी कुछ रचनाये दी जिसमें एक रचना है…….- मेरा परिवार माँ पापा और हम है पांच बस सात सदस्यों का मेरा परिवार। मुझसे पहले है न कोई पीछे है दो दो चार। मैं हूं ‘भावना ‘स्नेह की मुझसे छोटा दो है भाई और दो छोटी सी प्यारी बहना। 2) हम पांच थे,पांच है और पांच रहेगे हम नही किसी से अब डरेगे। हम मुरत्त रुप है जिनके उन्ही के चरणों में सदा रहेगे। एक स्नेह की ‘भावना’ है तो दुजा बंटी ,सोनू ,पम्मी ,सिम्मी। हम पांच थे पांच है और पांच रहेगे जिसने हमको जन्म दिया उन्ही के चरणों में सदा रहेगे। अब न हमकभी लड़ेगे हमेशा हम mil जुल कर रहेगे। एक हाथ के पांच ऊँगली हम नहीं है कोई एक समान फ़िर भी हममें कितना प्यार। आओ करे हम अपनी बखानहम पांच थे पांच है और पांच रहेगे।
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बहुत अच्छे भाव है ,…..
बहुत बहुत धन्यवाद
Bahut hi sundar aur bhai behen ke pyar ko darshati hui rachna.
बहुत बहुत आभार
Nice poem…
बहुत बहुत धन्यवाद
आपने पालने में ही कविता शुरू कर दी थी….हाहाहा….बहुत ही खूबसूरत…कोमल…प्यार से भरी हुई रचना… हर परिवार ऐसे ही रहे… बहुत बहुत शुभकामनायें…. भगवान् आपके परिवार को खुशहाल रखे….
बहुत बहुत शुक्रिया सर। जी सर में बचपन में कभी कभी कुछ लिख लिया करती थी पर बचपन में ही कुछ कारणों से लिखना छोड़ भी दिया था। उसके बाद B.A करने के बाद लिखना शुरू किया। फिर शादी के बाद लिखना छोड़ना पड़ा। लेकिन भाग्य ने साथ दिया और फिर से लिखना शुरू कर दिया । कुछ समय से। बस आप सभी लोगों का साथ स्नेह और प्रोत्साहन मिलता रहे। फिर से बहुत बहुत धन्यवाद सर।
You were sentimental from the beginnning it shows as observed by Babbu Ji… Enjoyed reading it.
बहुत बहुत धन्यवाद और सुक्रिया सर हमारी रचना पढ़कर प्रतिक्रिया देने और हमें प्रोत्साहित करने के लिए सर।
बहुत सुन्दर कविता की भाव
बहुत बहुत धन्यवाद सर
अति सुंदर भावना जी ………..आप बहुत भाग्यशाली है जी आपके पिता जी ने आपको इस दिशा में बढ़ने के लिए फिर से प्रेरित किया…….!!
बहुत बहुत धन्यवाद सर। जी सर आपने सही कहा आप सभी लोगों के प्रोत्साहन के बाद हमें पापा और Maa से ही प्रोत्साहन मिलता है। बहुत बहुत शुक्रिया और आभार आपका।
सुन्दर रचना भावना दीदी
मेरा ननिहाल dalsinghsarai है और मैं समस्तीपुर के ही रोसड़ा से आता हूँ।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका। हमे अपने ससुराल में भी एक भाई millगया। हा हा हा हा हा हा हा हा।
भाई – बहन का पाँच उंगलियों वाला भुगोल बड़ी ही सराहनीय है और फिर माँ-पिता का आशीर्वाद सोने पे सुहागा। वाह क्या बात है।
बहुत बहुत धन्यवाद सर
Nice
धन्यवाद सर