साथ रहता है जो हरदम सगा नहीं होता वरना मुझको भी यूँ उसने ठगा नहीं होता नैन में स्वप्न लिए नींद भी आ जाती थी वरना तन्हा पड़ा मैं भी जगा नहीं होता दूर से देखने पे सच ना नज़र आता है वरना रिश्तों में यूँ अक्सर दगा नहीं होता कभी अनजानी डगर चोट भी दे जाती है वरना पैरों में ये नश्तर लगा नहीं होता बुरे हालातों में जो साथ कोई देता रहे सच की राहो से वो हरगिज़ डिगा नहीं होता शिशिर मधुकर
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Very very nice poetry sir.
So very nice of you Dr. Swati ………
Bahut hi sundar, Shishir ji…
Thanks Anu ……………..
बेहद खूबसूरत…..जीवन में कड़वे सत्य ऐसे भी होते हैं….
Tahe dil se shukriya Babbu ji .
बेहतरीन.. मधुकर साहब
Dhanyavaad Bindu Ji …………….
जीवन के अनुभव की सुंदर अभिव्यक्ति।
Dhanyavaaad Devendra …………….
अत्यंत खूबसूरत……………… शिशिर जी
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji ………….
बहुत ही सुन्दर रचना सर
Tahe dil se shukriya Bhawna Ji …………………..