ये कौन सा सभ्य समाज है
(भाग – एक )
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ये कौन सा सभ्य समाज है, ये किस सदी का राज़ हैमानव का मानव दुश्मन, लुप्त प्राय: लोक-लाज है !!क्रूरता की हद पार हुई हैइंसानियत शर्मशार हुई हैजनक-सुति पर जुर्म ढहाते हैसच्चे भक्त राम के कहलाते हैपरतर नारी शक्ति का प्रचार करेअभ्यंतर अवसरवादी दुराचार करेपर पीड़ा का करे आभास नहींदूजी सुख-समृद्धि आये रास नहींमन मस्तिष्क में तांडव नाचेमुखारविंद से वेद पुराण बांचेबाहें-गाहे स्वयं बखान करेनिश महिमा गुणगान करेक्रूरता पुरषार्थ का गहना आजकिस विद पड़े जुर्म सहना आजये किस दुनिया में हम जीते हैघूँट अधर्म अन्याय का पीते हैये कौन सा सभ्य समाज है, ये किस सदी का राज़ हैमानव का मानव दुश्मन, लुप्त प्राय: लोक-लाज है !!
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डी के निवातिया
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Bahut hi badiya rachna Sir👍👍
तहदिल शुक्रिया आपका स्वाति जी !
Bahut hi sundar rachna, Nivatiya ji…
तहदिल शुक्रिया आपका अनु जी
bahut sahi kaha shriman katu satya….
तहदिल शुक्रिया आपका बिंदु जी !
बेहतरीन रचना
तहदिल शुक्रिया आपका मुक्ता जी
आज सभ्य लोगों की…. समाज की पहचान उलट हो गयी है….. उसके जिम्मेदार हम भी हैं…पहले बुरे काम वालों के साथ लोग नाता नहीं रखते थे … या सिर्फ बोल चाल का रखते थे…. पर आज हर कोई ऐसे लोगों से मेल बढ़ाने में शान समझता है…. कहीं न कहीं हम में ये प्रविर्ती शामिल है की जब तक अपने को चोट नहीं लगती हम समझते नहीं हैं…दूसरों की चोट में…धोका खाने में हम असहज नहीं होते….सटीक…आडंबर पे चोट करती बेहतरीन कृति आपकी….आपकी कलम का सानी नहीं कोई…. जय हो…..
सत्य कहा आपने ……….मै आपके विचारो से पूर्ण सहमत हूँ………..दिल खोलकर विचार साझा करने के लिए आपाक आभारी हूँ ……….तहदिल से शिक्रिया आपका बब्बू जी !
बहुत ही सुन्दर रचना
तहदिल शुक्रिया आपका भावना जी
Lovely sarcasm Nivatita ji ……
तहदिल शुक्रिया आपका शिशिर जी …!!
Khoobsurat Rachna Nivatiya ji
तहदिल शुक्रिया आपका Dr pramila mishra जी …!!