माँ तू मेरी चिंता मत करछोटी है नासुबह से पहले वो उठ जातीभइया भइया शोर मचातीसूरज का आशीष मांगकरचंदा को है गीत सुनातीधमा चौकड़ी दिन भर करतीआंगन में चंचलता भरतीडांट डपटकर धाक जमातीउल्टे को सीधा कर जातीकभी सुबकती भोली भालीबातें उसकी बड़ी निरालीखाली पेट नही हूँ चुप करउसने बनाई दो रोटी है नामाँ तू मेरी चिंता मत कर छोटी है नासब कुछ तौर तरीके से हैसुंदर और सलीके से हैशिल्पकार है चित्रकार हैमधुर साज की मृदुपुकार हैदीवारों पर चित्र सजे हैंआंगन कमरे मित्र लगे हैंकल कल करता है पनियाराखूब महकता है गलियारा अस्त ब्यस्त नही है कुछहर कोने को संजोती है नामाँ तू मेरी चिन्ता मत करछोटी है ना ।।देवेंद्र प्रताप वर्मा”विनीत”
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अति सुंदर ……..अपने रिक्त स्थान की भरपाई का अहसास दिलाती सुंदर भावपूर्ण रचना …….!!
bahut sunder man ko bha gaya ….. bhai … bahan ka adbhut pyar wali rachna…..
bahut hi sundr bhaavpooran………..
बहुत बहुत ही खुबसूरत रचना है सर
Full of emtions Devendra. Lovely work…..