ये तन अपना, ये मन अपना, वतन भी है ये अपना इस पर आँच न आने देंगे, साथ में है कफन अपना। गद्दारों को न सटने देंगे, दाग न कोई लगने देंगे ये थाती हम सबकी भाई, ये धरोहर चमन अपना। अपने जैसा सच्चा साथी, अब इस धरा पर खोजेंगे चाहे दुश्मन जो भी होगा,रक्षा करेंगे ये धन अपना। आतंकवाद न सटने देंगे, अपनी गर्दन न कटने देंगे मारेंगे चून हैवानों को , है मेरा यह वचन अपना। दलालों को अब न मिलने देंगे, फोड़ देंगे आँखें हम ले मशाल कूदेंगे रण में, चाहे लहुलुहान बदन अपना। देश द्रोही जो बीच में अपने, रौंदेंगे, कुचल देंगे हमअब भी जागो,अब भी संहालो,अब कर जतन अपना। वीर सपूत जाग गये, कोने – कोने में अंगार बरसेगा खून की बहेगी नदियाँ, खोने न देंगे रतन अपना। घोटालेबाज, घूसखोरों को अब, मजे हम चखायेंगे लूट-अपहरण – बलात्कार, मिटायेंगे ये प्रण अपना। सीमा पर लड़ने वाले, अब हम भी तेरे साथ हैं तिरंगे को न झुकने देंगे, ये माटी,कण – कण अपना। जात – पात की मारो गोली, देश प्रेम का नारा है लाज बचायेंगे इस धरती की, दिल में है अगन अपना।
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बहुत ही लाजवाब रचना
bahut bahut dhanyavad
laajwaab……………….
tahe dil sukriya
देशप्रेम और ऊर्जा से लबालब सुंदर कृति………………अति सुंदर बिंदु जी !
tahe dil aavhar.
Very nice poem👍👍
sukriya swati jee
Very nice….
bahut bahut dhanyavad.