क्यूँ भेदभाव है बाबातेरे प्यार मेंमुझे भी आने दोइस संसार मेंमाना तेरा बेटा नहींपर मैं तेरी बेटी हूँहर जुल्म को सहती हूँ फिर भी कुछ नहीं कहती हूँमैं सरोजनी,कभी कल्पनाइन्दिरा कभी लक्ष्मीबाई हूँ पहचान मुझे दे तू अपनीये दुनिया बसाने आई हूँसृस्टि का मूल हूँ मैं औरपवन सी हूँ सुखदायीपैदा होने दो शिवाजीतुम बचा लो जीजाबाईमेरे ही घर में मेरेभाई का हक़ ज्यादा हैआओ मिलो इससे येआज की अनुराधा है
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बहुत खूब कहा है सर आपने
बेहद सरल शब्दों में हृदयस्पर्शी रचना के लिए विशेष आभार शुभकामनाये।
bhaavpooran………ati sunder………….
अति सुंदर अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति …….!
Bahut hi sundar bhav👍👍
Bahut bahut aabhar