इतिहास के पन्नों पर न कभी दर्ज हुआ है न था और न कभी होगा। बाढ का आना,नदियो का उफनाबेकसूर का घर से बेघर होना। दो वक्त की रोटी के लिए बड़े-बुढे का क्या बच्चो का भी दुध के लिए तरसना। कई गाँवो कानदियो में विलीन होना। बाढ पीड़ितों का खुले आसमान के नीचे रहना। इससे भी बढ़कर जब नीचे भी हो पानी और ऊपर से भी बरसे पानी तो जरा सोचो इतिहास लिखने वालोंकेसे चलती होगी उनकी जिंदगी की कहानी। व भी तो शहीद होते होगे। दुश्मन (बाढ)के गोली (पानी)से फ़िर उनका नाम क्यो नही दर्ज होता इतिहास के पन्नों पर। सिर्फ सरकार यह कहती है राहतकोष का इंतजाम करो पर बहुत ही कम पहुँच पाते है यह राहतकोष भी उन सैनिकों(बाढ पीड़ितों)के पास।
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Zimmedaari ke abhaav me hamesha se ye hota hai. Kuch prakrtik kaarno ke kaaran v baaki maanav ke lobh ke kaaran.
बहुत बहुत आभार आपका ।
सुंदर रचना ।
सुक्रिया सर
Nice
बहुत बहुत धन्यवाद सर
बिलकुल सही कहा आपने……………..
बहुत बहुत आभार
सही कहा है आपने
सुन्दर कविता
बहुत बहुत धन्यवाद सर
Very nice and true
धन्यवाद
वाह अप्रितम …………..कितनी नजदीकी से आपने आमजन की समस्या को छुआ है ………..सत्य कहा आपने …..कौन याद रखता है …………बहुत खुबसुरत भावना जी !
बहुत बहुत आभार आपका।