सोच सकने वाले सोच तेरी सोच कितनी खोटी हैजितना बड़ा बनता है तू तेरी औकात उतनी छोटी हैएक बदबूदार बूँद से पैदा हुआ तूअपने अस्तित्व के बदले क्या लेगा तूमाना आसमां छू लेगा तू परएक मुठ्ठी राख से ज्यादा नहीं तूअ सबसे बुद्दिमान तेरी बुद्धि क्यूँ इतनी मोटी हैसोच सकने वाले सोच तेरी सोच कितनी खोटी हैजितना बड़ा बनता है तू तेरी औकात उतनी छोटी हैअ उत्तम सर्वंश्रेष्ट अपनी श्रेष्टता तो बताआकर दुनिया में तूने क्या नया कियाजो किया सुख के लिए किया पर बतादुनिया बनाने वाले को क्यूँ भुला दियाअ सबसे समझदार समझने में क्यूँ इतनी देरी हैसोच सकने वाले सोच तेरी सोच कितनी खोटी हैजितना बड़ा बनता है तू तेरी औकात उतनी छोटी हैउड़ता है आसमानों में तू तो क्या हुआक्या तेरा जीवन फुटपाथ से जुदा हुआभूख से तड़पती आत्मा को तूने क्या दियाना संम्भाल सका उसे तो क्यूँ पैदा किया अ नासमझ समझ उसको उसकी समस्या रोटी हैसोच सकने वाले सोच तेरी सोच कितनी खोटी हैजितना बड़ा बनता है तू तेरी औकात उतनी छोटी हैओ देवतुल्य तू देवता है किस किस्म काआज भी होता सौदा तेरे जिस्म काकौन है गुनेहगार आज तेरी नज़रों मेंआज भी लुटती तेरी हया बन्द कमरों मेंचौराहे का पोस्टर तेरी सोच की कसौटी हैसोच सकने वाले सोच तेरी सोच कितनी खोटी हैजितना बड़ा बनता है तू तेरी औकात उतनी छोटी हैबना सोच ऐसी की जीवन में आभा भर देजीवन देने वाले से मिलने का वादा कर देमत छू आसमान को तू गति को आधा कर देबना चरित्र ऐसा की इंसान से कुछ ज्यादा कर देअ इंसान समझ इंसान को और इंसानियत क्या होती हैसोच सकने वाले सोच तेरी सोच कितनी खोटी हैजितना बड़ा बनता है तू तेरी औकात उतनी छोटी है
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सिंह
Sorry sir. सुन्दर रचना लिखना चाह रही थी। फ़िर से सर लिख रही हूँ सुन्दर रचना है सर।
Insaan ke naitik patan par chot karti achchi rachnaa…..
अच्छी है
achhe bhav liye…………
Very nice 👍👍
इंसान को अपनी औकात याद दिलानेवाली कविता ,सच में मानव अब अपनी अहंकार से चूर होकर आपने को बड़ा और श्रेष्ठ समझने लगे है .अपनी श्रेष्ठता को इजहार करने के लिए प्रकृति का दोहन कर रहे है
अति सुंदर ……………..!
Bahut bahut aabhar aap sabhi ka