4)माना कि संग में आपके दौड़ नही सकती आपके शब्दों को अपने शब्दों से जोड़ कर नही सकती। पूरे होगे मेरे भी सपने जो कल ही हमने संजोए थे। अगर मेरे शब्दों के motiyo par “‘शांडिले’,’अमन’,’आलोक’,मदन,’योगेश’,’सारांश’,’शालु’जी “के विश्वास का एक परचम मिल जाए। 5) माना आज मे कुछ भी नहीं न दिया किसो ने साथ हमारा। न चमका हमारे भाग्य का सितारा चाँद तारे छुने की ख्वाहिश हमने भी पाल रखी थी।पर किसी ने छीन लिया जुगनु के रोशनी से भी हक हमारा। पर “‘अरुण कुमार’,’दवेश’,’शिवदत्त’,Monoj, आनंद,जी “ओर सभी कवि जनों के हौसले लिखने की राह दिखा दे तब दूरियाँ में भी नाप लुंगी जो न जाने कब से मुझे इशारे से पुकारे।
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साहित्य परिवार से जुड़े प्रत्येक सदस्य को अपनी रचना के माध्यम से जो मान दिया है यक़ीनन आपके साहित्य प्रेम को दर्शाता है …….बहुत बहुत बधाई आपको !
बहुत बहुत धन्यवाद सर।
Appreciate your work….
बहुत बहुत शुक्रिया सर।
साहित्य से जुड़े रहना आपका हक है और आप का नैतिक अधिकार भी
कोशिश करते रहिए कोशिश करने वालों की हार नही होती
धन्यवाद आपका।
बहुत खूबसूरत भाव हैं आपके…….दुआ है आप अपने मकसद में कामयाब हों…..जय हो….
बहुत बहुत आभार और धन्यवाद सर।
Bahut sundar bhav…
बहुत बहुत धन्यवाद