मैंने इस संसार में, झूठी देखी प्रीतमेरी व्यथा-कथा कहे, मेरा दोहा गीतमैंने इस संसार में ….मुझको कभी मिला नहीं, जो थी मेरी चाहसहज न थी मेरे लिए, कभी प्रेम की राहउर की उर में ही रही, अपना यही गुनाहकैसे होगा रात-दिन, अब जीवन निर्वाहजब भी आये याद तुम, उभरे कष्ट अथाहअब तो जीवन बन गया, दर्द भरा संगीतमेरी व्यथा-कथा कहे, मेरा दोहा गीत //१. //आये फिर तुम स्वप्न में, उपजा स्नेह विशेषनिंद्रा से जग प्रिये, छाया रहा कलेशमिला निमंत्रण पत्र जो, लगी हिया को ठेसडोली में तुम बैठकर, चले गए परदेसउस दिन से पाया नहीं, चिट्ठी का सन्देशहाय! पराये हो गए, मेरे मन के मीतमेरी व्यथा-कथा कहे, मेरा दोहा गीत //२ . //छोड़ गए हो नैन में, अश्कों की बौछारतिल-तिलकर मरता रहा, जन्म-जन्म का प्यारविष भी दे जाते मुझे, हो जाता उपकारविरह अग्नि में उर जले, पाए दर्द अपारछोड़ गए क्यों कर प्रिये, मुझे बीच मझधारअधरों पर मेरे धरा, विरहा का यह गीतमेरी व्यथा-कथा कहे, मेरा दोहा गीत //३. //
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अति सुंदर महावीर जी ………..हमारी रचना ” ज़रा खुलने तो दो ” पर अपनी प्रतिक्रिया दे !
bahut khoob. sundar pravaah….
बहुत खूबसुरत
ati sundar………….
Bahut sundar…
Sabhi ka Shukriya