इंसानियत की सीमा
—सोया हुआ है सिंह, सियार दहाड़ मार रहा हैछल-कपट की लड़ाई में शूरवीर हार रहा हैजाने किस करवट बैठेगा हैवानियत का ऊँटइंसानियत की सीमा कर मानव पार रहा है !!
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डी के निवातिया
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Last line me Insaaniyant ki seema “ko” hona chahiye. Otherwise bahut bhadia hai.
गहनता से नज़र कर मूल्यांकन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद शिशिर जी …………..अनावश्यक शब्दों के प्रयोग से जितना बचा जाए बेहतर होता है इसीलिए ” को ” जोड़ना आवश्यक नहीं लगा !!
बहुत सुंदर कटाक्ष है इन पंक्तियों में निवातियां जी
बहुत बहुत धन्यवाद MADHU JI.
समाज में दिन-ब-दिन होते मूल्यों का ह्लास पर बेहतरीन कटाक्ष…..
बहुत बहुत धन्यवाद BABBU JI.
आदरणीय.. अंतिम पंक्ति में टाइपिंग की थोड़ी सुधार कर लें… बहुत सही कटाक्ष।
बहुत बहुत धन्यवाद BINDU JI.
बहुत कम शब्दों में सच्चाई को उजागर करती रचना
बहुत बहुत धन्यवाद MUKTA JI.
Nice sarcasm…..
बहुत बहुत धन्यवाद ANU JI.
बहुत ही सुन्दर रचना।
बहुत बहुत धन्यवाद BHAWNA JI.
Nice sir
बहुत बहुत धन्यवाद Rakesh JI.