इस कदर प्यार में हम दीवाने हुएतोड़कर कर सारे रिश्ते बेगाने हुएआजकल नीद हमको नही हमसफरख्वाब के सारे महफ़िल पुराने हुए
आरजू तुम मेरी जुस्तजू तुम मेरीआशिक़ी तुम मेरी मौशिकी तुम मेरीसोचता हूँ गजल क्या लिखूं आजकलसारे अल्फाज तेरे दीवाने हुए
याद आती है तेरी वो नजदीकियांवो नजाकत भरी तेरी बारीकियांवो शरारत भरे आँखों के पैतरेढलते पल्लू से लाखों फ़साने हुए
Than
अति सुंदर…..पर ग़ज़ल नहीं बनती भाई जी….
धन्यवाद आपका
शीर्षक गलती से प्रिंट हो गया है
त्रुटि हेतु छमाप्रार्थी हूँ
Sundar rachna…
शुक्रिया अनु जी
सुंदर रचना
खुबसूरत रचना।
धन्यवाद भावना जी
खूबसूरत अभिव्यक्ति ………ग़ज़ल के मानकों पर उचित नहीं है !
शीर्षक गलती से टंकित हो गया है