भोजपुरी गीत काहे बइठल बाड़ू मनवां के मार ए गोरीलागत नइखे काहे जियरा तोहार ए गोरी। विरह के आग में जलत बाड़ू काहे याद पिया के अब काहे ना सहाये। काहे चिंता में पड़ गइलु बेमार ए गोरीलागत नइखे काहे…………….. ।परदेशी सजनवां के बोझ बड़ भारीछोटकी बहिनिया विआह के लाचारी। मत करिहऽ ननदी से तूं टकरार ए गोरीलागत नइखे काहे……………. ।अबकी सवनवा में घर चलि आईब दुख दूर करके ई दुविधा मिटाइब। सभे चुका देहब पाई – पाई उधार ए गोरीलागत नइखे काहे……………. ।हमरे पर बा बाबू – माई के असरा बहुत प्यार बा मत करिहऽ झगरा। आपन जिनगी में आ जाई वहार ए गोरीलागत नइखे काहे जियरा तोहार ए गोरी।
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बहुत बढ़िया बिंदु जी ………..विरह का क्या खूब वर्णन किया है आपने !
Bahut khoob ……..
गजब की रचना है सर। बहुत बहुत खुबसूरत
बहुत सुंदर भोजपुरी गीत है बिंदु जी
बिंदुजी…बहुत ही सुन्दर विरह को शब्द दिए हैं…..मुझे भोजपुरी आती नहीं पर समझ लेता हूँ….हो सकता मेरी अनभिज्ञता है भाषा की तो पूछ रहा हूँ….”मत करिहऽ ननदी से तूं टकरार ए गोरी” …इसमें समझा नहीं मैं…जब “गोरी” पी के घर नहीं है शादी के बाद या शादी अभी नहीं हुई है पी के घर नहीं गयी इंगेजमेंट है अभी…विरह पीड़ा प्रेम की है….तो ननद बीच में क्यूँ ले आये आप…हाहाहा
Bahut Sundar rachna…