मेरे दिल में क्या हैहम उनसे कैसे कहेमैंने तो कई मर्तबा जाहिर किया थाआँखों सेअपनी मुहब्बतये कहाँ पता था उन्हें आँखों को पढना ही नहीं आता थाकई ख़त भी तो लिखा थाजज्बातो की तुलिका सेकविता के शक्ल में वो समझ ही ना पाती थी आखिर तो अब क्या करेंकभी उनकी किताब में गुलाब रख करकभी मोर का पंख छिपा करअहसास करवाना चाहा थावो गुलाब सूख ही तो गया थाउनकी किताबो मेंअपने जज्बातो काजिक्र भी तो नहीं कर सकता थाकिसी और सेक्या पता कोई साजिश ही कर देमुझे उनसे दूर करने कामेरे दिल में क्या हैकहे तो कैसे कहें —-अभिषेक राजहंस
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
बहुत खूब
बहुत सुंदर
अति सुंदर …………..!
Lovely expression……
बहुत सुन्दर
बहुत सुंदर रचना बहुत खूब अभिषेक जी
Very nice…