आग मत लगाओ, अब दाग मिटाओकुण्डली मार बैठा, नाग भगाओ। आस्तिन का सांप, फन काढ़े बैठा उस दुश्मन का पुराना राग हटाओ। घर से लेकर बाहर तक पहचानोमुदई कहाँ बैठा है इसको जानो। हर एक व्यवस्था में यही हाल हैराजनीति में तो और बड़ा जाल है। पार्टी में चोर उचक्का बेईमान खूनी दबंग राजनीति का अपमान। शासन सुधरेगी तो विकास होगा वर्ना सबके लिए गले का फांस होगा।हत्या अपहरण आम बात हो गई राजनीति धर्म जात पात हो गई लचर कानून बेटी को क्या कहनामानवता आज शर्मसार हो गई।
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वर्तमान परस्थितियों का सटीक आंकलन….
बिलकुल सही कहा आपने सर। बहुत ही सुन्दर रचना।
सुंदर अभिव्यक्ति ……..यक़ीनन हालातो को सुधारने की आवश्यकता है !
Very true…….
सत्य कथन है बिंदेश्वर शर्मा जी सुंदर