याद आने लगे हैं वो यादों के पलकुछ ख्यालों में आ गया बीता जो कल। अब तो तन्हा भी रहना गवारा हुआ इश्क मुहब्बत का कैसा देखो ये फल। अब नजरें संहालो नयन वश में करोये धोखा तेरा है जो करता है छल। जो नादानियांँ है उसको वश में करोवर्ना मारी जायेगी तेरी भी अकल । ये क्या हो गया जो हम भी फंस गयेइश्क ऐसे में हम भी हो गये थे कतल । अक्सर धोखा ही मिलता उलझ जो गये अब दिखता कहाँ जो इसमें होता सफल।
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सुंदर रचना सर।उलझने से इंसान भटकता अधिक है। सफल वही होता है जो सरल है।
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत खूबसूरत……….”कुछ ख्यालों में आ गया बीता जो कल।” इसको ऐसे देखिये सोच के “ख्यालों में आ गया बीता जो कल”…कुछ यहाँ अनावश्यक लग रहा बीते ख्यालों की बात हो रही जब….
आपकी बात बिल्कुल सही है बब्बू जी, पर मीटर की मपनी में नहीं बैठ रही। कुछ के बदले मेरे या…. लिख सकते हैं, पर मुझे उचित नहीं लगा।
बहुत खूबसूरत