तूने सौंपा मुझे सब कुछ अहम दिल से मिटाया हैमेरे हर क़तरे क़तरे में नाम तेरा समाया हैमुहब्बत और पूजा में फर्क कोई नहीँ होताइन्हीं के वास्ते इंसा नें नफ़रत को भुलाया हैप्यार पाने की इच्छा ही तो बस जीने की इच्छा है तेरी इस बेरुखी नें देख तो कितना रूलाया हैपाक रिश्ते ज़माने को कभी भी रास ना आएजिसे मौका मिला जब भी उसने उतना सताया हैभले ही बाग का माली करे कलियों की निगरानीशिशिर भौरों की खातिर ही सबने खुद को खिलाया हैशिशिर मधुकर
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Bahut Sundar, Shishir ji…
Tahe dil se shukriya Anu…………….
“पाक रिश्ते ज़माने को कभी भी रास ना आए
जिसे मौका मिला जब भी उसने उतना सताया है”
बहुत खूबसूरत पंक्तिया ।वास्तविकता है सर।
Tahe dil se shukriya Devendra ……………….
बहुत ही सुन्दर रचना।
Dhanyavaad Bhavna Ji …………………
ati sundar………………….
Dhanyavaad Babbu Ji ………………….
बहुत-बहुत बेहतरीन रचना शिशिर जी
Tahe dil se shukriya Madhu Ji ……………….
Beautiful poem sir
So very nice of you Nivedita ………………….
अति सुन्दर मधुकर साहब
Dhanyavaad Bindu Ji …….
बहुत खूबसूरत
Dhanyavaad Krishna…..
बहुत सुन्दर भाव है
Dhanyavaad Rakesh Kumar Ji ……………….