तुम तो ठहरे नेताजीसाथ क्या निभाओगेसत्ता हाथ आते हीहमको भूल जाओगे. जब भी चुनाव आएगाहमारी याद आएगीहाथ जोड़े आओगेहमको लुभाओगेउल्लू बनाने फिर सेसपने दिखाने फिर सेतुम तो ठहरे नेताजीसाथ क्या निभाओगेचुनाव के जाते हीनजर नहीं आओगे. महिला सुरक्षा कोनित वादे करते होनारी अत्याचार परखूब आहें भरते होतुम तो ठहरे नेताजीइज्जत क्या बचाओगेभ्रष्ट भोगी बनकरअस्मत लूट जाओगे. योजनाएं खूब बनतींकागज पर दिखाने कोबिचौलिए खा जातेजनता के दाने कोतुम तो ठहरे नेताजीयोजना बनाओगेलूट देश की थातीपीढ़ियां सजाओगे. धर्म की लकीरें भीतुमने खींच डाली हैंजातियों में भी अबसेंध मार डाली हैतुम तो ठहरे नेताजीदिल क्या मिलाओगेजनता में फूट डालकरसत्ता तक जाओगे. उग्रवाद तुमने हीजनता में डाला हैस्वार्थ में अपने हीविष को निकाला हैतुम तो ठहरे नेताजीविष ही फैलाओगेसत्ता की खातिर तुमहद से गुजर जाओगे. तुम तो ठहरे नेताजीसाथ क्या निभाओगेसत्ता हाथ आते हीहमको भूल जाओगे. विजय कुमार सिंहVijaykumarsinghblog.wordpress.com
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bahut sunder katakchh,,,,,,,gabe ju tarz par achha hai……janta ki ankey kholne ke liye dhanyad…. kintu jaisi sarkar dagewaz hai …. kanoon andha hai,,,,,,, oise hi hamari janta .
Very nice….
Nice sarcasm Vijay…..
swagat hai vijayji…..bahut dinon baad aapki rachna ka anand mila….behad steek kataaksh…………