लिखी गई है बहुत सी कवितायेँ पहलेबहुत सारी जगहों पर अनेक विषयों पर देश और विदेशों में भी लिखी जाएगीबहुत सी कवितायेँ वहां जहाँ लिखी नहीं गई हैजानी,अनजानीदेशों पर इस वर्त्तमान युग मेंकम नहीं हुआ है इसकी मान मेरी भी अभिलाषा है इस कविता की घने जंगल में मेरी भी एक हरियाली पेड़ हो .
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बहुत सुंदर भाव। अच्छी रचना।
लिखा गया है के स्थान पर
“लिखी गई है
बहुत सी कविताएं
बहुत सी जगहों पर”
तो भाषा और भी सुदृढ हो जाती है।
इसी प्रकार अन्य स्थानों पर भी सुधार की आवश्यकता है। सादर।
सुंदर मनोभाव।
खूबसूरत मनोभाव ,,,,,,,,,,,,,अवश्य आपको वो करना चाहिए जो ह्रदय में भाव जगे ………..देवेंद्र जी के विचारो से सहमत हूँ ……शब्द अशुद्धियों पर ध्यान देने से रचना का सौंदर्य और बढ़ जाता है !
चंदरमोहन जी….बहुत ही बढ़िया….आपकी हिंदी में रचनाएं लिखने की लगन से मुझे प्रेरणा मिलती है…