खुद के होने का एहसास दिलाती हैं तन्हाइयां,यूँ ही नही किसी को मिल जाती है तन्हाइयां ।अपनो से कहाँ दूर जाता है आदमी,फ़कत अपनो की याद दिलाती है तन्हाइयां ।।ये जिंदगी के रस्मों रिवाजों की सड़क है,यहां बहुत दूर तक साथ निभाती है तन्हाइयां ।कभी तन्हाई में शुकून तो कभी शुकून में तन्हाई हैदोनों तरह के किरदार निभाती हैं तन्हाइयां ।। देवेंद्र प्रताप वर्मा”विनीत”
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सत्य वचन …………अति सुंदर देवन्द्र जी ……..यही यथार्थ है !
Ati sundar Devendra. Satya kaha aapne …..
bahut sahi farmaya aapne ati sunder.