ये मेरी – तेरी, इसकी – उसकी क्या हैरिश्ता – नाता, ये इश्क – मुहब्बत क्या है। ये लेना-देना, ये बुरा – भला क्या हैहम तुम और मैं, जिसका – तिसका क्या है। भ्रम का तमाशा, पराया – अपना क्या है माया ममता लोभ क्रोध, लालच क्या है। चोरी – डाका लूट, घूस बजारी क्या है छल – कपट धोखा, अपहरण – हत्या क्या है। ये गिरना – उठना, हंसना – रोना क्या है नखरा – वखरा, ये झूठा – सच्चा क्या है।दुनिया इतनी रंग – बिरंगी, साथी संगी क्या है ये तन माटी का पुतला, जीना – मरना क्या है। कल जो बीता आज नहीं, फिर से कल क्या हैइसी सोच में दुनिया पागल, ये हलचल क्या है। उल्टी – सीधी शोर शराबा, हब्बा – डब्बा क्या हैछोड़ो उसको मारो लाठी, समझो-बूझो ये क्या है। जागो समझो ए मानस, हम तुम में वैर नहीं हैजात पात पर लडते हो, प्रेम तो समझो क्या है। बहुत हो गयी दुनिया दारी, झूठी – सच्ची यार चार दिन की जिंदगी है, खुलकर कर लो प्यार।
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बहुत ही सुन्दर रचना है सर
VERY VERY THANKS BHAWNA JEE.
बहुत खूबसूरत बिंदु जी ………..अंत में रचना सार बिन अधूरी लगी ………….निष्कर्ष पर पहुंचाने से और उम्दा होती !
निवतिया जी छ:पंक्ति को और जोड़ा हूँ… कृप्या एक नज़र करें।
रचना में छिपे सन्देश को प्राप्त करने में असमर्थ हूँ
कृपया सार समझाएं
ABHISHEK JEE RACHNA PHIR EK BAAR PADHEYN…..
जैसे की निवतियाजी ने कहा….रचना अधूरी सी है…
Aap sabhi ek baar fir se dekhe aur apna comments den. thanks.
बहुत अच्छे बिंदु जी !!
bahut khoob……..
श्री मान जी आप भी एक नजर जरुर नजर करें।
Shri man jee aap ki sikayat ko puri kar di gai hai… kripaya apna comments jaroor den.
चार दिन जिंदगी है करो खुलकर प्यार .काश आप ही की तरह सब सोच होता .
बहुत सुन्दर कविता .चार दिन की जिंदगी करो खुलकर प्यार .वाह क्या सुन्दर विचार है आपका
bahut bahut sukriya kisku jee.
Bahut Sundar rachna, Bindeshwar ji….
tahe dil sukriya……
सुन्दर रचना…….
Vijay jee – Namstey bahut din bad mulakat ho rahi hai. very very thanks.
वाकई सुंदर रचना है !
बहुत बहुत धन्यवाद श्री मान जी
बहुत बहुत धन्यवाद श्री मान जी
बहुत ही सुन्दर रचना है सर
बहुत बहुत शुक्रिया