दो अप्रैल, सन् अठारह को SC/ST का भारतबंद’दस’ को सवर्ण करेगा भारतबंद;’चौदह’ को फिर SC/ST का भारतबंदOBC का बंद अभी तो बाकी हैअभी तो बाकी है सिख, जाट का भारतबंदमुस्लिम सोचता है, कब वह करेगा भारतबंद ?जाति-पांतिधर्म-सम्प्रदायमेंबंटा हुआऔर आहत,कुछ सहमा-सहमा साकुछ धीमी आवाज़ मेंयह देश पूंछ रहा है-‘मेरे प्यारों, लड़ना-झगड़ना कब बंद करोगे?मेरे प्यारों, नफ़रत से रहना कब बंद करोगे?किसका इंतजार कर रहे हो-सिकंदर कालंगड़े तैमूर कागोरी काया फिरटामस रो का?अब तो ऐसा कोई ‘बाहर से’ नहीं आएगाअब इतिहास खुद को नहीं दोहराएगा!तुम्हें यहीं रहना है तुम्हें यहीं जीना हैयहीं मरना है;चाहो तो शांति सेचाहो तो, लड़-भिड़ कर मर जाओ;यह तो तुम्हारी चाहत पर है, प्यारोंचाहो तो, गीदड़ बन कर मरोचाहो तो, वीरगति को पा जाओ!’ ..र.अ. bsnl
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सही कहा आपने सर ।सराहनीय रचना।
BAHUT SUNDER ABHIVYAKTI SHRI MAN JEE.
Bahut sundar bhav….
Lovely sarcasm on current events Raquim Bhai .
Sabse pahale sabhi gunijan ko mera hardik pyar aur namskaaar.
Bhawana Kumari ji
BP Sharma ji
Anu ji
Mahukar ji
aap logon ka bahut bahut dhanywaad.
aur dhanywaad gyapit karana choonga,
Niwatiya ji
Madhu ji
Babbu ji
VK Singh ji etc
ko bhi;
Kyonki kabhi-kabhi hee main site par pahunch pata hoon ,
aur aap logon ki barabar nazar-e-inayat rahati hai,
tathaa bharpoor sneh milata hai.
Thanks all pl.
रक़ीम अली जी आपके विचार बहुत सुंदर है …….!
वास्तविकता सब जानते है ………चाहे वयक्ति किसी भी वर्ग या श्रेणी का हो जिसके अंदर इंसानियत के ज़रा भी भाव होता है वी कदापि हिंसात्मक विचारो का समर्थन नहीं करता !
कुछ असामाजिक तत्व सदैव से रहे है ठीक उसी तरह से जैसे फूलों के आस-पास काँटों या कीचड़ का होना स्वाभाविक है ! यह व्यक्तित्व की सोच-समझ और उसकी कार्य शैली पर निर्भर करता है की उधारणार्थ कुछ पंक्तिया पेश है जिनका सृजन इस विषय के लिए शायद हुआ हमारी कलम से !
फूलों और कलियों से आँगन सजाना भी है
कीचड और काँटों से दामन बचाना भी है
महकेगा चमन-ऐ- गुलिस्तां अपना तभी
हर मौसम की गर्दिश से इसे बचाना भी है
बेहद उत्तम भाव लिए….समाजिक प्रस्थितयों का आंकलन करती….आप व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकल कर रचना से अवगत करवाते हैं अपने विचारों का आदान प्रदान करते हैं…आप का प्यार नज़र आता है…. हम सब एक दुसरे से रचनाओं के ज़रिये वाकिफ हैं…
Ek baar fir
Niwatiya ji
aur Babbu ji
Ka hardik Dhanyawad.