कुर्सी और वोट की खातिर काट काट के सूबे बनतेनेताओं के जाने कैसे कैसे , अब ब्यबहार हुएदिल्ली में कोई भूखा बैठा, कोई अनशन पर बैठ गयाभूख किसे कहतें हैं नेता उससे अब दो चार हुएनेता क्या अभिनेता क्या अफसर हो या साधू जीपग धरते ही जेल के अन्दर सब के सब बीमार हुएकैसा दौर चला है यारों गंदी हो गयी राजनीती अबअमन चैन से रहने बाले दंगे से दो चार हुएदादी को नहीं दबा मिली और मुन्ने का भी दूध खत्मकर्फ्यू में मौका परस्त को लाखों के ब्यापार हुएतिल का ताड़ बना डाला क्यों आज सियासतदारों नेआज बापू तेरे देश में, कैसे -कैसे अत्याचार हुएहिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में सब भाई भाईख्बाजा और साईं के घर में बातें क्यों बेकार हुएमदन मोहन सक्सेना
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वाह बहुत सुंदर सक्सेना जी मेरी रचना भी पड़ी है कटु वचन अमूल्य टिप्पणी कीजिए
पढ़िए
अत्यंत सुंदर एवम सम्पूर्ण कटुसत्य रचना
SAHI KAHA SAHAB.