तुम मेरी ज़िन्दगी में युँहि हौले से आ गएसावन के मेघों की तरह अम्बर पे छा गएतक़दीर के जुए ने मुझे यूँ तो छला कियालेकिन मेरा नसीब था जो तुमको पा गएग़मगीन हुईं महफिलें इक साथ जब छुटालेकिन तुम्हारे गीत मेरे कानों को भा गएछीना तुम्हें पहलू से मेरे मज़बूर कर मुझेलेकिन कभी भी तुम मेरे ख्वाबों से ना गएजीते हैं सभी ज़िन्दगी बस मतलबों के साथखुद के लिए वो कितने सितम मुझ पे ढा गए मधुकर से जब भी पूछा किए दोस्तों नें राज़गजलें वो तेरे हुस्न की महफिल में गा गएशिशिर मधुकर
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
बहुत सुन्दर भाव
Dhanyavaad Akhilesh ji ……..
Sry nice ,Shishir ji
Dhanyavaad Kiran ji……..
Very nice, Shishir ji…
Thank you very much Anu ………
बहुत सुन्दर गजल, हर बार की तरह…… खूब सर ………
Tahe dil se shukriya Madhu Ji ………
man ko chu lene wali pankti … bahut sunder.
Haardik aabhaar Bindu ji ……..
बहुत खूबसूरत रचना
Tahe dil se shukriya Mukta……….
मुहब्बत की सारी दास्ताँ कह गए हौले से …………….अति सुंदर…!!
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji ………..
बहुत सुन्दर भाव ………
Dhanyavaad Chandramohan ji ………
बहुत सुन्दर भावों को पिरोया है आपने….पर मुझे मतले में “सावन के मेघों की तरह अम्बर पे छा गए” नहीं समझ आया…जबकि पहली पंक्ति ज़िन्दगी से जुडी है…
ग़मगीन हुईं महफिलें इक साथ जब छुटा
लेकिन तुम्हारे गीत मेरे कानों को भा गए
इस शेर में भी मुझे रब्त की कमी लगती…जो कहना चाहते शेर कम्पलीट नहीं करता…हो सकता मैं वैसा नहीं सोच पा रहा जैसा आप लिखे…
Babbu Ji tahe dil se shukriya. Aapke sujhaav par main gaur karunga ….
बहुत खूबसूरत रचना
Dhanyavaad Ram Gopal Ji……….
अत्यंत सुंदर भाव
Dhanyavaad Krishna…………..