अमर रहेगा नाम तुम्हारा
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तुम योग्य लफ्ज़ नहीं पास मेरे, कैसे करुँ गुणगान तुम्हाराराजगुरु, सुखदेव, भगत सिंह, कितना है अहसान तुम्हारादेश प्रेम के सूचक थे तुमदेश की खातिर प्राण गवाएंवीर गति को प्राप्त हुए तुमफिर भी वाज़िब दर्जा न पाएक्या ज़ज़्बा, क्या हिम्मत थी, दहल उठा था संसार सारानाज़ है तुम पर देश के वीरो,वतन करे गुणगान तुम्हारा !!डरे नहीं तुम, कभी झुके नहींराह पे अपनी कभी रुके नहींसब कुछ वारा, तन-मन हाराकुर्बानी देने से कभी डरे नहींवारि जाऊं बलिहारी जाऊं, सदा अमर रहे नाम तुम्हाराधन्य है वो धरती माता, जहां पर गूंजता नाम तुम्हारा !!भारत माता पर उपकार तुम्हाराकैसे चुकाए वतन ऋण तुम्हारातुमसा न कोई अभी तक जन्मासदा अमर रहेगा नाम तुम्हारामिल जाए जो पग धूलि, धन्य हो जाए जीवन हमाराधन्य है वो धरती माता, जहां पर गूंजता नाम तुम्हारा !!
तुम योग्य लफ्ज़ नहीं पास मेरे, कैसे करुँ गुणगान तुम्हाराराजगुरु, सुखदेव, भगत सिंह, कितना है अहसान तुम्हारा !!
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डी के निवातिया
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खूबसूरत शब्दों मे पिरोये खूबसूरत गीत के लिए बधाई आपको…….
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया का तहदिल से शुक्रिया एवं आभार …………….MADHU Ji.
बहुत खूब लिखा आपने… ऐसे वीरों का कोटी कोटी मेरा नमन।
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया का तहदिल से शुक्रिया एवं आभार …………….BINDU JI.
Bahut hi sundar likha aapne, Nivatiya ji….
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया का तहदिल से शुक्रिया एवं आभार ……………. ANU JI.
Bahut Sundar bhawnaon se yukt sundar Kavita Nivatiyan JI
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया का तहदिल से शुक्रिया एवं आभार …………….KIRAN JI.
Full of respect for the three myrters………
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया का तहदिल से शुक्रिया एवं आभार …………….SHISHIR JI.
बहुत प्यारी…श्रद्धापूर्ण…सच्चे सपूतों को श्रद्धांजलि….नमन
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया का तहदिल से शुक्रिया एवं आभार …………….BABBU JI.
देशभक्ति से ओतप्रोत तेजस्वी कविता
बहुत ही सुंदर
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया का तहदिल से शुक्रिया एवं आभार …………….MUKTA JI.