उस रोज तुम्हे टोका नहीतुम जा रहे थे मैंने तुम्हें रोका नहीसुबह तुम्हारे सुरों की लालच मेंअक्सर देर से आती थीखिड़कियों से झांकती धूप मुस्कुराती थी ।मै नींद का दामन थामेसपनो की पगडंडियों पर, जब भी चलने की कोशिश करतातुम्हारा तीव्र स्वर उलाहना देता..मैं जागी हूँ और तुम नींद को गले लगाए होवाह जी क्या खूब निभाये हो..मैं सजल नेत्रों से तुम्हे निहारतातुम्हारे माथे पर हाथ फेर कहता,देख तेरा हाथ पकड़े हूँमै तुझसे अलग थोड़े हूँ,तेरी पीड़ा तेरी तकलीफ का साझेदार हूँमैं वही तेरा चहेता किरदार हूँतुम निश्छल सागर सी अपनीपीड़ा के ज्वार समेट शांत हो जाती,और अत्यंत अचंभित चकितसिरहाने खड़ी जिंदगी मुस्कुरातीउस रोज ऐसा हुआ नहीतुमने पुकारा पर मैंने सुना नही ।तीन दिवस से जागी आंखों की प्यास में थीनींद उसी दिन की तलाश में थी,तुम्हारी सखी हमजोली पीड़ातुम्हे बड़ी तीव्रता से तोड़ रही थीसुबह दूर खड़ी सिसक सिसक कर रो रही थी,यंत्र तंत्र सब बेबस लाचार थेबुत बने खड़े सारे पहरेदार थे,हाय विधाता ! वो वीभत्स स्वरूप,संयंत्रों में जकड़ा तुम्हारा रूप,देखा न गयाहाथ तुम्हारे हाथ से छूट सा गयावाह रे !!निद्रा तेरा कपट जालआखिर भ्रमित कर गयामैं फर्श पर बैठा सो गयाठीक उसी क्षण नियति मुस्कुराईतुम हृदय से चीखी चिल्लाईकिंतु हाय कोई ध्वनि मुझ तक न आई।स्तब्ध स्तंभित अवाक सहसा खुली जब मेरी आँखेकाल चक्र तुम्हे समेट चुका थामैं हार वो जीत चुका था…. देवेंद्र प्रताप वर्मा”विंनीत”हृदय उदगार दिनाँक 15.03.2018 को छोटी बहन प्रेम और पीड़ा की संगिनी रचयिता सीमा वर्मा”अपराजिता” की लंबी बीमारी के दौरान लखनऊ में आकस्मिक निधन…
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I am shocked to hear this sad news. We have lost a very talented poetess and it is an irreperable loss. I pray to God to rest her soul in peace and adore your special words for her Vineet.
ohhh……seema ji nhi rahi ……..sahsa viswash nhi ho raha hai…… mai bhut wythit hu……. unke ese jane se…….. apki rachana se hi aabhas ho rahatha kuchh anhoni ka…..chitran hi kiye h aap sajiv …unko vinamra sradhanjali …………apke priwar ko dukh sahn karne ki sakti de….om santi santi santi……..
बहुत ही दुःख हुआ यह जानकर की सीमा मेम नही रही हम लोगो के बीच। व बहुत ही सुन्दर कविता लिखती थी। भगवान उनके आत्मा को शांति प्रदान करे। और आपके पूरे परिवार को साहस दे यह पुरे साहित्य परिवार की तरफ से भगवान से प्रार्थना है।
ह्रदय को पीड़ा से आहत करने वाली खबर है …………जानकर बहुत दुःख हुआ ………हमारी साहित्य माला का एक मोती टूट गया जिसकी कमी कभी पूरी नहीं हो सकती ……..ईश्वर दिवंगत की आत्मा को शांति दे …….और परिवार को इस दुःख की घडी से उबरने की हिम्मत दे ………हम इस दुःख की धड़ी में आपके साथ है !
हृदय को आघात लगा जान कर…..बिना उम्र के चले जाने का गम जानता हूँ में…..बहुत ही सुंदर लिखती रही है अपराजिता जी…. भगवान दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दे और घर के सभी सदस्यों को हिम्मत….साहित्य परिवार आपके साथ है….