वो तेरी तरसी निगाहों कावो हर बार का उलाहना ।।और धक् से मेरी धड़कन कायूँ आने से रुक जाना ।।पास आने की तेरी शिद्दत कामुझे झूठ-मूठ सताना ।।और मेरा वही मान कर भीन मानने का रवैया मनमाना ।।तेवर में भर कर गुस्सायूँ तेरा वहीं रुक जाना ।।मना लूं तुम्हें लगा कर गलेपर मेरा तुझे यूँ झूठा खपाना ।।नयनों की कोर से हुई शरारत कासारा राज़ खोल जाना ।।पर तुझ मासूम का एक और पत्र प्रार्थना कामुझे निवेदित कर जाना ।।मुस्काना, लजाना, मेरा आगे बढ़ करफिर रुक जाना ।।पर तेरे छूने की अदब कामुझ पर बादल बन छा जाना ।।और मेरे मोम के किले सी ज़िद काढह जाना – ढह जाना ।।।।
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behad sundar abhivyakti ………………
बहुत बहुत धन्यवाद सर
अति सुंदर …………!
बहुत बहुत धन्यवाद सर जी
बहुत खूबसूरत……………
बहुत बहुत धन्यवाद madhu tiwari ji
bahut khub…….
बहुत बहुत आभार बिंदेश्वर प्रसाद शर्मा जी