जिसका जो है मन वही लिख रहा हैजैसे – तैसे कविता सीख रहा है। कवि सम्मेलनों में क्या कहे हमगला फाड़ – फाड़ कर चीख रहा है।
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Lovely sarcasm……………..
तहे दिल आभार।
सत्य वचन बिंदु जी ..सुंदर कटाक्ष ……..कवी गोष्ठियों की तो पूछिए मत ………..हास्य व्यंग के नाम पर क्या क्या परोसा जा रहा है ……..!
बहुत बहुत शुक्रिया।
सही बात है बिन्दु जी………..
बहुत बहुत धन्यवाद।
nice sarcasm…
तहे दिल सुक्रिया।
हा हा हा
सच कहा
बहुत बहुत धन्यवाद।
सही कहा आपने सर।
बहुत बहुत धन्यवाद।
Ati sunder…..
bahut bahut sukriya