श्रद्धांजली केदार कोवे कभी मरते नहींजिस क्षण से उनकी देहबंद कर देती है सांस लेनाउसी क्षण से साँसे लेने लगती हैं उनकी कविताउसी क्षण से बातें करने लगते हैंउनके उपन्यास, उनकी कहानी, नाटक के पात्रउनकी तूलिकाएं गीत गाने लगती हैं औरउनकी बनाई तस्वीरें ड्राईंग रूम की दीवारों से उतरकरघर में चहल-पहल करने लगती हैंजोर शोर से, बुलंद आवाज में बतियाते हैं उनके आलेखऔर इस तरह, जिस क्षण आती है उनकी मृत्यु की खबरवे जिन्दा हो जाते हैं अपनी कविता, कहानी, उपन्यास और लेखों, तस्वीरों मेंऔर फिर ज़िंदा रहते हैं अनवरत, अनंत काल तकप्रेमचन्द, परसाईं, नागार्जुन और केदार बनकरअरुण कान्त शुक्ला20/3/2018
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
सत्य कहा आपने ……ऐसी महान आत्माये कभी मरती नहीं वरण अमर हो जाती है सदैव के लिए……इनके रिक्त स्थान कभी भरते नही…….यह हिंदी साहित्य की वो क्षति होती है जो कभी पूर्ण नही हो सकती।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे…।।
sachchi shradhanjali ……………………
सही कहा आपने……… अपने महान कर्म से ये अमर हैं….
BAHUT ACHHI BAAT KAHI AAPNE ARUN JEE.. MRITYU KAAL KE BAAD BHI YAD KIYE JATE RAHE HAIN JINHONE BAHUT SARI KRITIYAN KO CHHOD JATE HAI. MAIN INHEYN NAMAN KARTA HUAN.
सही कहा आपने….कलम के धनी कभी नहीं मरते