बिखरी साँसें कहती जातीहर पल को बस खुश रहने दो।अधरों को मुस्कानों से कुछबिखरे मोती चुन लेने दो।पीड़ा के पलने से उठकरकुछ कदम जगत में चलने दोगिरकर उठने का साहस लेजीने का सार समझने दो।डर से डर जाने के भय सेमुक्त सभी को हो जाने दोबार बार जीवन में आतीमँड़राती मौत हटाने दो।उसमें साहस की कुछ घड़ियाँबस पल दो पल तो चलने दोजग में सिर भी ऊँचा करकेमानव-सा बन कुछ रहने दो।उसके अंदर विनम्र भाव खुदशांत चित्त से आ जाने दोमन मंदिर में धर्म कर्म केकुछ पुष्प पुण्य के सजने दो।पीड़ा चिन्ता व्याधि तपन सबआती है तो आ जाने दोपर व्यथित दुखित होना इससेकुछ पल में ही मिट जाने दोजीना है तो जीना सीखोयह पाठ सभी को सिखला दो‘इक पल जीकर मर जाना है’यह भाव शून्य हो जाने दो।… भूपेन्द्र कुमार दवे00000
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waah…..maja aa gaya….behad khoobsoorat….parwaah bhaavon ka….
Very nice