उड़ना चाहूँ आसमान में —————————मन गगन चाहतों की तरंग बन पतंग सी उड़ना चाहूँ आसमान में ।।न ओर न कहीं छोर मेरे हाथ ही मेरी डोर बन परिंदा पंख फैलाना चाहूँ आसमान में ।।सक्षम हूँ, सजग हूँ मत रोको की बन सत्य सपनों को साकार करना चाहूँ इस जहान में ।।बस उड़ना चाहूँ आसमान में ।। (मु क्ता शर्मा)
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खुबसूरत रचना
बहुत बहुत आभार भावना जी
बहुत सुन्दर और साकारात्मक भाव हैं आपके मुक्ता जी
धन्यवाद KIRAN kapur gulati ji सच है
सकारात्मक सोच ही जीवन जीने की उमंग मे जान डालती है
ati sundar……khoob likho…khoob udo….
हाँ जी c m Sharma ji सच है शब्द के पंखों संग विचारों की उड़ान भरने में जो मजा है वह कहीं और नहीं