मेरी हिंदी प्यारी ——————–माँ ने सिखाई अध्यापकों ने सुधारीमन की बात कहने में समर्थ मेरी दादी की प्यारी ।खुशबूदार फूलों की क्यारी ।।ऐसी है मेरी हिंदी प्यारी ।।साधन सबसे जुड़ने का चाहे अपने अनजान सेदेश में हर प्रांत से भावनाओं को करती वहनदूरियों का करती दमनखुशबूदार फूलों की क्यारी ।।ऐसी है मेरी हिंदी प्यारी ।।बहुत अपनी सीजैसे हमारा पैतृक मकान ।सौम्यता बुजुर्ग सीजैसे रूह की पहचान खुशबूदार फूलों की क्यारी ।।ऐसी है मेरी हिंदी प्यारी ।।उर्दू सा रस घोले मधु सा ।संस्कृत की सी विद्वता ।वैर-भाव नहीं तनिक सा ।देखो! खातिर तुम्हारे अंग्रेजी को भी छू लिया ।खुशबूदार फूलों की क्यारी ।।ऐसी है मेरी हिंदी प्यारी ।।कब तक कोसोगे ।और कितना दूर जाओगे ।माना माँ है मातृ भाषा हमारी ।हर प्रांत के जन की प्यारी ।खुशबूदार फूलों की क्यारी ।।ऐसी है मेरी हिंदी प्यारी ।।परिवार चाहे कितना ही बढ़ जाए ।पर क्या कुटुंब को छोड़ जाओगे ।।माँ को पूजो,मानो पर दादी को कैसे भूल जाओगे ।।खुशबूदार फूलों की क्यारी ।।ऐसी है मेरी हिंदी प्यारी ।। मुक्ता शर्मा —————-
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बहुत ही सुन्दर रचना।
बहुत बहुत धन्यवाद भावना जी