रंग गुलाल मन बसे पलास उड़े आकाश। राधा – मोहन संग सखि सहेली गावत होली। मस्त फागुन अगन विरह के मीठे खुमार। बढ़े उमंग बच्चों बूढ़ों के संग करता तंग। खेलत फाग राधा संग मोहन गये बौराय। चौपाल मस्त चढ़ आयो फागुन झाल-मृदंग। जिया कचोटे कोयल जब बोले मनवां डोले। फूल पलास बड़ा लगे अजूबा रस में डूबा। जली होलिका ना जले प्रहलाद मरे शैतान । लीची मैं फूल कोचिआई महुआ मंजर आम्र। वाह रे जीना मदहोश दिवाना फूल में भौंरा। गोरी तरसे बालम परदेशी रंग बरसे।
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बहुत खूब……….. सुन्दर हायकू…………. शर्मा जी……
Bahut sunder…..Holi ki bahut bahut badhaaee aapko….
बहुत ही सुंदर हाइकु…….. होली की ढेरों बधाईयाँ आपको……