मन से मन भी मिल जाये , तन से तन भी मिल जायेप्रियतम ने प्रिया से आज मन की बात खोली हैमौसम आज रंगों का छायी अब खुमारी हैचलों सब एक रंग में हो कि आयी आज होली हैले के हाथ हाथों में, दिल से दिल मिला लो आजयारों कब मिले मौका अब छोड़ों ना कि होली हैक्या जीजा हों कि साली हों ,देवर हो या भाभी होदिखे रंगनें में रंगानें में , सभी मशगूल होली हैना शिकबा अब रहे कोई , ना ही दुश्मनी पनपेगले अब मिल भी जाओं सब, आयी आज होली हैप्रियतम क्या प्रिया क्या अब सभी रंगने को आतुर हैंचलो हम भी बोले होली है तुम भी बोलो होली है .मदन मोहन सक्सेना
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bhut khoob …………holi ki sundar rachana ….apki….
Sir yaha Kavita kaise likh k bheje aap mujhe suggest kar skte ho kya plz sir
बहुत ही सुंदर रचना…
…. होली की ढेरों बधाईयाँ….