💐विरोधिनी नहीं हूँ💐 …मधु तिवारीपुरुष ! मैं तेरी विरोधी नहीं हूँ।तेरे बिन बोलो मैं औऱ कहीं हूँ ?तुझसे बनाया गया मुझे कमतरउस विचार से ही मैं दुखी रही हूँ।पितृ भ्रात प्रेमी पुत्र मित्र रुप मान हो,प्रेमनीर बन नित तुझ संग बही हूँ।एक दूजे बिना दोनों अधुरे हैं,सदा साथ चलूंगी चलती रही हूँ।मन मे जो बात थी सत्य छुपी हुई,साथी तेरे आगे अभी कही हूँ।हरि हर ब्रम्हदेव इष्ट देव मेरेनररूप इन्हें हृदयतल से गही हूँपुरुष ! मैं तेरी विरोधिनी नहीं हूँ।तेरे बिन बोलो मैं औऱ कहीं हूँ।✍🏻श्रीमती मधु तिवारी,दुर्ग, छत्तीसगढ़💐💐💐💐💐💐💐💐
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बहुत अच्छी बात कहने की बड़ी अच्छी कोशिश।
पुरुष, मैं तेरी विरोधिनी नहीं हूँ
बिन तेरे बोलो, मैं और कहीं हूँ।…. कैसा रहेगा।
धन्यवाद बिन्दु जी……..मूल रचना मे यही है…एक आदरणीय कवि ने जो सुझाव दिया उस पर बदल दी थी….अब आपके सुझाव पर पुनः बदल दिया जाय…हा…हा…हा..
मधु जी… बदलाव व सुधार (edit) करने के लिए सबसे पहले sign in करें फिर all post मैं जायें। तत्पश्चात edit को click करें फिर जो सुधारना हो उसे सुधार कर… Post कर दें। धन्यवाद।
bahut khoobsoorat………….
धन्यवाद सर……….
बेहद खूबसूरत रचना……..
धन्यवाद काजल जी………………
बहुत ही खुबसूरत रचना