इन्सान चाहता है साथ हर कदम के साथ,मिल जाता है नया चेहरा हर कदम के साथ,जमाने की भीड में फिर हम ही तन्हा हैं,या बदलतें हैं कदम रास्ता हर कदम के साथ, मिले कई शख्स पर कोई अपना ना मिला,छोड जाता है कोई अपना ही साथ हर कदम के साथ,जिसको भी पाया खुद से नाराज पाया,टूट जाता है कोई दिल हर कदम के साथतन्हाई ही चलती है योगी अब हर कदम के साथ, परछाई भी अब आती नजर नहीं, हर कदम के साथ,
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
वाहहहह……….सुन्दर रचना योगेश जी……………
सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद मधु जी
अति सुंदर …………….!!
सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद निवातिया जी
sundr rachna…………..
सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद शर्मा जी
बहुत ही सुंदर रचना…….. योगेश जी…
सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद काजल जी