सब कुछ पाने के बाद भी कुछ भी अच्छा न लगता हो,तब ही प्रेम है।सबकुछ खो जाने के बाद भी कुछ भी अच्छा लगता हो,तब ही प्रेम है।संसार भर की सुंदरता न भाति हो,बल्कि विष भी अमृत के समान मीठा लगने लगता हो,एकांत और भीड़ में भी कुछ न दिखता हो,प्रकाश खोज से भर जाए और अंधकार वियोग से,सिन्धु के मोती और आकाश के तारें टूटते दिखने लगें,तब ही प्रेम है।सारी बात कह देने के बाद भी न जाने कितनी बात रह जाए,महाशान्ति के बाद भी अशांति ही रह जाए,जीवन के बाद जीवनऔर मृत्यु के बाद भी मृत्यु,तब ही प्रेम है।रूप में, निराकार में, अंत में, अनंत में बस वहीं आभास हो सके,मिलन ऐसा हो कि स्वयं का परिचय ही न हो पाए,और वियोग ऐसा की दुःख कि देवी भी रो जाए।क्षण-क्षण, घड़ी-घड़ी प्राण तपते जाएँ-लेकिन फिर भी मृत्यु पर हँसी ही आए।तब ही प्रेम है।अश्रु-जल में संसार ओंझल होता हो,लेकिन स्वप्न में स्वर्ण-महल बनता हो।सारे महाकवि, सारे दार्शनिक भी न व्याख्या कर सकें,सातों सिन्धुओं में अग्नि ज्वलित हो सके एक बूँद अश्रु से,महासागर पी लेने के बाद भी अतृप्ति ही रहे,तब ही प्रेम है।तन-मन-धन, सारी चाह-इच्छा, मान-सम्मान, अभिमान को किनारे कर के,जीवन को निरर्थक लुटाने का उन्माद जागृत हो,तब ही प्रेम।महान से महान चित्रकारी, संगीत या कोई भी कला अपूर्ण ही रह जाए,बस आस-पास ही हो लेकिन खोने का भय लगा रहे,और साक्षात् मिलन का संयोग न हो पाए,तब ही प्रेम है।
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
बहुत बढ़िया व्याख्या प्रेम की……………
plz read ….sadbhavna….
khoobsoorat…………….
बहुत ही सुंदर ….. बस थोड़ा लम्बा लगा…..