कर्ज बैंकों से लेकर अमीर ,अपना ये देश छोड़ देते हैं गरीब किसान कर्ज में डूबकर,अपना देह छोड़ देते हैं। वाह रे माल्या और नीरव जैसे गद्दार,देश के नटवर लाल क्यों सब के सब मिलकर,अपने देश का उधेड़ रहे खाल। कानून प्रशासन नेता दवंग,अब आप किसको क्या कहियेगा भरोसे वाले अधिकारी को,बिन पकड़े ही कैसे चोर कहियेगा। कभी गोरा कभी काला कभी घोटाला में, फिसल रहा भारत कभी जात पात,कभी परिवार वाद,में ही पिघल रहा भारत। बयालिस में बत्तीस चोर, बच के अब कहाँ तक तुम जाओगे जिधर देखना है देख बिन्दु, पहरा रच के कहाँ तक आओगे।
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Bahut Sundar rachna, Bindeshwar ji…
wahhhhh…..khoob…… bindeswr ji..
lovely sarcasm…….
bahut badhiya kataaksh……
बहुत ही बढ़िया……. सच्चाई से भर