बहुत उदास सी रहने लगी है जिन्दगी,हर सोच से अब परे है जिन्दगी,हम तो तस्वीर बनाते जातें हैं,जाने क्या रंग भरे जिन्दगी,मिलेगी कभी तो पूछेंगें जरूर,कया चाहती है हमसे ए जिन्दगी,कल जो बहुत दूर तक पीछा किया हमनें,इक मोड पे जा के खो गई जिन्दगी,मिली थी कभी गीली लकडी की तरह,जलाया तो धूआं करने लगी जिन्दगी,आग तो नजर आ सकी योगी,पर आंखें तर कर गई जिन्दगी,
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बेहतरीन रचना आपकी…………………
बहुत बहुत आभार मधु जी
बहुत ही खूबसूरत रचना……… योगेश जी…..
बहुत बहुत आभार काजल जी
bahut khoobsoorat…………
thanks for your appreciation Sharma G
अति सुंदर …………..!!
बहुत बहुत आभार निवातिया जी