लो फिर आया ये प्रेम दिवस
प्रदर्शन का अनोखा दिवस
सच अगर प्रेम दिवस है ये,
तो प्रदर्शन की क्या आवश्यकता
अंतर्मन की नैससर्गिक भावना को
किसी सहारे की क्या आवश्यकता
युं तो प्रेम जो स्वयं मुक्त है,
उसे दिवसों के बन्धनो की क्या जरुरत है हाँ,
जहाँ तक अभिव्यक्ति का प्रश्न है
तो हो अभिव्यक्त पर खास दिवस
सुनियोजित तरीके की क्या आवश्यकता..?
सच कहुं तो,ये दिवसों का संस्थानिकीकरण है
कहीं मूल वस्तु(प्रेम)ही कमजोर न हो जाय
क्योंकि जो दिखाया जाता है वह प्रेम नही प्रदर्शन है ..
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आप सभी मित्रो को प्रेम दिवसकी हार्दिक शुभकामनाएं,
आपका अपने सभी अपनों के साथ प्रेमफलता फूलता रहे
यूँ तो भावना से भरा दिल प्रेम को प्रदर्शित करने हेतू
किसी तय दिन का मोहताज़ नहीं ,
फिर भी ये चलन सबको मुबारक हो दिल से….
कपिल जैन
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सही कहा आपने…..यह सब अपना सामान बेचने के मार्केटिंग ढकोसलें हैं….और कुछ नहीं……
Kapil I do not see anything wrong in it. Our festivals also provide opportunities for such display of love and affection to motivate other souls. Isn’t it?
Pyar ke liye samay ki bandis nahi hai, kyonki sukh-dukh aur pyar samay ya tarikh dekh kar nahi aata.
बहुत खूब….. कपिल जी…..
mai bhi apse ittefaq rakhti hu is mamle me apse…………