तुम्हारे प्यार की खातिर अदावत मोल ली मैंने ग़मों की पोटली खुद के लिए ही खोल ली मैंने मुझे मालूम था ये आंधियां घर को उजाड़ेंगी ना जाने क्या हुआ फिर भी ये खिड़की खोल ली मैंने देख के रुख ज़माने का हुए थे दूर सब तुमसे मगर तब भी तो मीठी बात तुमसे बोल ली मैंने मुझे तन्हा ना छोड़ोगे कहा करते थे तुम मुझसे झूठ हर बात वो तेरी लहू में घोल ली मैंने कोई अपना नहीं होता सभी मतलब के रिश्ते हैं मधुकर ये सच्ची बात अब फिर तोल ली मैंने शिशिर मधुकर
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बहुत अच्छी, मुझे बहुत पसंद आया। काबिले तारीफ की है।
Dhanyavaad Bindu Ji ……………
ati sunder………
Dhanyavaad Babbu Ji …………………
bahut sundar..
Dhaanyavaad Shivdutt Ji …………..
Bahut Sundar, Shishir ji…
Dhanyavaad Anu …………………
Heart touching poetry specially some line “मुझे तन्हा ना छोड़ोगे कहा करते थे तुम मुझसे
झूठ हर बात वो तेरी लहू में घोल ली मैंने”, Beautiful, Shishir Sahab
Tahe dil se shukriya Rajiv ji ……
बहुत ही सुंदर………. सुंदर भाव….. शिशिर जी…..
Tahe dil se shukriya Kajal…….
Bahut khubsurat…………….|
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji ………….
bhut sundar, behtreen gazal shishir ji…….
Tahe dil se shukriya Madh7 ji ……
बहुत ही सुन्दर रचना
Haardik aabhaar Bhavna Ji ……………..