ठहर जाती है अब भी साँसेएकबारगी सेहवाओ को सरसराते हुए देखकरजी उठता हूँ आज भी फिर सेतुम्हारे पायल की रुनझुन सुनकरकमरे में आज भी नहीं लगाता सांकलकी तुम लौट के ना आ जाओदरवाजे की चरचराहट मुझे नींद से जगा देते हैदरवाजो को क्या पता तुम्हारे जाने के बाद नींद आती ही कहाँ हैमेरे हिस्से अब कहाँ कुछ बचा हैजो मैं बाटूँ किसी सेकुछ तेरी यादे हैंकुछ सफ़ेद होते बाल हैऔर है तस्वीरो का अलबमजिसे बार -बार देखता हूँतस्वीरो में खुद को जवां पाता हूँतस्वीरों में ही तुम्हे देख पाता हूँजीवन तो तभी तक थाजब तक तुम जीवंत थीअब तो बस साँसे चल रही हैऔर आँखे पथराई सीदेख रही तुम्हारा रास्ताकी कब तुम लौट आओऔर मुझे समा लो खुद मेंघुल जाने दो मेरी साँसों को भी खुद मेंप्रेम-विरह से मुक्त कर दो मुझेअब वियोग् का दर्पण नहीं देखना मुझेप्रिये अब आ भी जाओसितारों की ओट से निकलकरमेरे लिएसिर्फ मेरे लिए—-अभिषेक राजहंस
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
एक ख्वाब एक आस लिए प्यार के सांसो को एहसास दिलाता सुंदर रचना। दूसरे की रचनाओं पर भी अपनी प्रतिक्रिया दें… धन्यवाद।
Prem laalsaa kaa sundar chitran…………….
बेहद खूबसूरत………..!!
bhut sundar rachana apki……. khoob…….
plz read ….sadbhavna…