यूँ करके बातें बड़ी बड़ी ,अक्सर मुझे सिखते हैं लोग….. ।कहते हैं सभी मजहबो को एक ,मगर दिलों की दुरीया न मिटाते हैं लोग….. ।जीते हैं इंसान की तरह बनठन कर ,और इंसानियत को ही मार जाते हैं लोग…… ।नहीं दिखता खुद का चेहरा आईने में , बनकर भले गैरों को बुरा बनाते हैं लोग….. ।वक्त ही होता है बड़ा मरहम जख्मों का , दर्दों गम में अब कहॉं काम आते हैं लोग…. ।यू ही मर जाते हैं कई होकर बेसहारा , यहां तो मरने के बाद काँधो में उठाते हैं लोग…. ।फटे कपड़े देख लाज उतारते और मुर्दों को कफन चढ़ाते हैं लोग….. ।बनाते हैं ठिकाने बेघरो के लिए , फिर क्यों अपनो को भटकता छोड़ जाते हैं लोग…. मै वही हूँ जो कड़वा सच कह बैठी , इसलिए मुझ पर ही जूते बरसाते हैं लोग….. ।गली गली में सिखा कर धरम करम , आज सिर्फ और सिर्फ कमाते हैं लोग…… ।। ” काजल सोनी “
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वाहहहहह……….काजल जी,लाजवाब ……….
तहे दिल से बहुत बहुत आभार आपका मधु जी….
Babut khoob
तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आपका अंजलि जी…..
Bahut sunder bilkul satik बाते करती है आप.
तहे दिल से बहुत बहुत आभार आपका शर्मा जी…..
Ati sundar Kajal……
तहे दिल से बहुत बहुत आभार आपका मधुकर जी…..
Bahut sundar, Kajal ji…
तहे दिल से बहुत बहुत आभार आपका अनु जी……
behad khoobsoorat………..
तहे दिल से बहुत बहुत आभार
आपका शर्मा जी……
Bahut Sunder Rachna Kajal ji
तहे दिल से बहुत बहुत आभार आपका राजीव जी….
Lajawaab………….sundr kataksh
तहे दिल से बहुत बहुत आभार आपका निवातिया जी….
The truth told in a very nice manner .nice poem